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स्कूलों की छत गिन रंहे तारे  दिख रहा आसमां टपक रहा पानी, क्लास रूम में भर रहा पानी , बच्चों पर  मँडरा रही संकट

21/07/2024 2:12 PM

Hari singh Thakur

­स्कूल की छत गिन रंहे तारे  दिख रहा आसमां ,टपक रहा पानी, क्लास रूम में भरा पानी , बच्चों पर  मँडरा रही संकट

 

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बस्तर  न्यूज़ —बस्तर जिलेभर में ऐसे दर्जनों स्कूल भवन मरम्मत के अभाव में खस्ता हाल हो गए हैं। ईधर सरकार तमाम तरह की योजनाओं से स्कूल शिक्षा विभाग को उच्चस्तरीय शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु जोर दे रही है , स्कूल जतन योजना  ,समग्र विकास योजना ,अन्यान्य योजनाओं  के माध्यम से करोड़ो रूपये खर्च करती है । फिर भी  कुछ जगहों पर  हालत गंभीर है। कि कहीं स्कूल की छत से पानी टपक रहा है। तो किसी की दीवार टेढ़ा हो गई है। जब तेज वर्षात होती है। तो पानी कमरों में आ भर जाता है। ऐसे में स्कुली बच्चों का पढ़ाई करना कोई बड़ी मुसीबत से कम नहीं है। ऐसे जर्जर भवनों में बच्चे को जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ता हैं।


जी हां हम बात कर रंहे हैं ।बस्तर विकास खंड के तुरपुरा पंचायत01 के आश्रित गांव    पल्लीभाटा प्राथमिक शाला की ।

हालात  की बात  करें तो  जर्जर स्कूल भवन में स्कूल संचालित हो रही हैं । जहां की छत छननी की भांति अवलोकन हो रही है । और छत काफी पुराने हो चुके हैं।
सालों से इस पुराने भवनों में स्कूल संचालित हो रही हैं,
लेकिन शिक्षा विभाग की आँख इस ओर पड़ी ही नहीं है। जबकि कई बार विभाग को सूचना दिया गया। फिर भी विभागीय व प्रशासनिक अधिकारी के कान में जु तक नही रेंगा।

आपको बता दे कि सबसे अधिक परेशानी बरसात के दिनों में होती है। जब तेज बारिश होती है तो पूरा पानी छतों से पानी टपकने लगता है। ऐसे में पूरे कक्षाओं में लाबालब पानी भर जाता है। ऐसे में बच्चे ठीक ढंग से यहां बैठ भी नहीं पाते हैं। जो स्कूलों को मजबूरन छुट्टी कर देना पड़ती है।

मरम्मत के लिए नहीं रहती है स्कूलों में पर्याप्त राशि

 

अक्सर शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल प्राचार्यों व प्रभारियों को यह हिदायत देते हैं कि आप शाला निधि से मरम्मत करा लें, लेकिन यह राशि बहुत अल्प होती है। इसमें इस तरह के काम होना संभव ही नहीं होते हैं। ऐसे में भारी समस्या बनी रहती है और इन खस्ताहाल भवनों की मरम्मत भी नहीं हो पाती है।

 

बिना प्लान के बना दिए जाते हैं अतिरिक्त कक्ष।

शिक्षा विभाग स्कूलों में जगह के अभाव में अतिरिक्त कक्ष तो बनाता है। इसके लिए जो भी खाली जगह स्कूल प्रांगण में दिखाई देती है, वहीं पर भवन बना दिया जाता है। इसमें या तो स्कूल प्राचार्य बताते हैं। या फिर शिक्षा विभाग के आला अधिकारी तय करते हैं। इस तरह से बिना प्लान के ही कक्ष आगे से आगे तैयार होते जाते हैं और स्कूल भवन का पूरा नक्शा ही बिगड़ जाता है। इसके लिए कोई विधिवत प्लान नहीं बन पाया जिससे यह स्थिति निर्मित हो रही है।

प्राथमिक शाला को अतिरिक्त कक्ष में लगाना पड़ रही कक्षाएं

पल्लीभाटा के प्राइमरी स्कूल की तो हालत और भी ज्यादा खराब होती जा रही है।
जमीन से भी पानी रिसते हुए कक्ष में भर जाता है। मजबूरी में प्राइमरी की सभी कक्षाएं अतिरिक्त कक्ष में लगाना पड़ रही हैं।

 

दूसरी बात आपको बता दें कि अभिभावकों के द्वारा यह भी  बताया जा रहा है कि  इस स्कूल में टीचरों की कमी है ।  जिसमें 50 से अधिक बच्चों की उपस्थिति रहती है जिस स्कूल में एक मात्र ही टीचर होने के नाते बच्चों को पढ़ाई करने में भारी डिस्टर्ब हो रही है।

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